देश में बढ़ रही कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या600 से ज्यादा लोग हुए कोरोना वायरस से संक्रमित

देश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. भारत में कोरोना वायरस के संकट को बढ़ने से रोकने के लिए 21 दिनों के लॉकडाउन का ऐलान किया गया है. हालांकि इस लॉकडाउन के कारण कई दिहाड़ी मजदूरों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है.


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लॉकडाउन के कारण कई मजदूर, रिक्शा चालक बेरोजगार हो चुके हैं. वहीं चंडीगढ़ में बेरोजगार हुए दर्जनों मजदूरों के पास राशन भी खत्म हो चुका है. जिसके बाद दर्जनों मजदूर मजदूर साइकिल रिक्शा पर ही अपने गांवों के लिए निकल चुके हैं.


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राज्य और केंद्र सरकारों की अपील के बाद भी फैक्ट्री और दुकान मालिक मजदूरों को घर भेज रहे हैं. ज्यादातर मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार से ताल्लुक रखते हैं और उनके पास घर लौटने के लिए पर्याप्त साधन भी नहीं है. बसें और ट्रेनें भी ठप हैं.



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चंडीगढ़ में जैसे ही कर्फ्यू लगाने की घोषणा हुई तो मजदूर वर्ग के लोग अचानक घबरा गए. वहीं टैक्सी वाले गांव पहुंचाने के लिए प्रति व्यक्ति 4000 रुपये तक की मांग कर रहे थे. इसलिए दर्जनों मजदूर अपनी साइकिल और साइकिल रिक्शा से ही अपने राज्य की ओर निकल पड़े.



 


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इनमें चंडीगढ़ के सेक्टर-17 में काम करने वाले 6 रिक्शा चालक और दिहाड़ी मजदूर भी शामिल हैं. ये लोग उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिला के सरदारगढ़ गांव के रहने वाले हैं. चंडीगढ़ से उनका गांव लगभग 960 किलोमीटर दूर है. चंडीगढ़ में रह गए इन मजदूरों के साथियों ने बताया कि रास्ते में इन लोगों को ठगी का शिकार भी होना पड़ा और पिछले तीन दिनों से सिर्फ दो बार खाना मिला है.


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वहीं अब ये लोग मुजफ्फरनगर में फंसे हुए हैं. ये सब अपने गांव लौटना चाहते हैं लेकिन इनके पास घर लौटने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है. 52 साल के राजेंद्र चंडीगढ़ में रिक्शा चलाकर अपना और अपने परिवार के तीन सदस्यों का गुजारा कर रहे थे. हालांकि पिछले एक हफ्ते से राजेंद्र का रिक्शा ठप है.


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